ITR भरते वक्त बतानी पड़ेगी ये 5 कमाई, वरना घर आएगा इनकम टैक्स का नोटिस

Digital Desk- इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख अब करीब है. सरकार ने साफ कर दिया है कि ITR भरने की डेडलाइ आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. ऐसे में अगर आप डेडलाइन के बाद ITR दाखिल करने के लिए फाइन देना होगा. इसलिए अगर आपने अभी तक ITR फाइल नहीं किया है, तो इस काम को जल्द से जल्द पूरा कर लीजिए. साथ ही आईटीआर दाखिल करते वक्त छोटी-छोटी डिटेल्स पर जरूर ध्यान रखें. वरना बाद में इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) उन्हें नोटिस थमा देता है.

1. बच्चों के नाम खुले अकाउंट की जानकारी-

अगर आपने अपने बच्चों के नाम पर निवेश किया है, तो इस बारे में आईटीआर दाखिल करने के दौरान बताना पड़ता है. आमतौर पर नाबालिग बच्चे के नाम पर बैंक अकाउंट खुल जाता है, लेकिन इनमें माता-पिता अभिभावक के तौर पर रहते हैं. अगर आपको अपने बच्चे के नाम पर किए निवेश से ब्याज मिल रहा है, तो इसे आपके इनकम के साथ जोड़ दिया जाता है. इसलिए माता-पिता को इसे अपने इनकम में दिखाना होता है. नाबालिग की इनकम के जोड़ने पर 1,500 रुपये के डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं.

2. निवेश से मिलने वाला रिटर्न-

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त उस इनकम को भी दिखाना होता है, जहां से आपको रिटर्न मिल रहा है. मान लीजिए कि आपके पास आपने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में निवेश किया है, तो इस पर मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्स फ्री होता है. लेकिन आपको आईटीआर के फॉर्म में इस बारे में जानकारी देनी होगी. रिटर्न में इसके लिए जगह दिया रहता है, जहां आपको ऐसी इनकम दिखानी होती है.

 

 

3. सेविंग बैंक अकाउंट का रिटर्न-

टैक्सपेयर्स कई बार रिटर्न दाखिल करते समय सेविंग बैंक अकाउंट से मिलने वाले ब्याज की कमाई को दिखाना भूल जाते हैं. उन्हें लगता है कि इस छोटी कमाई से क्या ही फर्क पड़ेगा. लेकिन ये गलती भारी पड़ सकती है. इस तरह की कमाई को भी आईटीआर में दिखाना जरूरी है. रिटर्न में दिखाने के बाद सेक्शन 80TTA के तहत सालाना 10,000 रुपये तक को डिडक्शन के तौर पर क्लेम करना होगा.

4. विदेशी निवेश की जानकारी-

अगर आप विदेशों निवेश करते हैं, जो डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स या फॉरेन फंड्स या हाउस प्रॉपर्टी के रूप में हो सकता है. फिर इस तरह के निवेश के बारे में आपको आईटीआर भरते वक्त बताना होगा. साथ ही होल्डिंग्स से होने वाली कमाई को भी दिखाना होगा. टैक्सपेयर्स को इस बारे में खास ध्यान देना चाहिए.

5. एक्रूड इंटरेस्ट-

ब्याज से होने वाली कुल इनकम यानी Accrued interest. ये वो इनकम है, जो कमाई जाती है लेकिन मिलती नहीं है. ये कम्युलेटिव डिपॉजिटव या बॉन्ड से मिलने वाला ब्याज, जिसका भुगतान सिर्फ मैच्योरिटी पर किया जाता है. इस तरह की कमाई पर TDS लिया जा सकता है. इसलिए जरूरी है कि निवेश को आईटीआर में दिखाया जाए.

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